"Break the Silence"We can't stop our voice - Appeal of the National Campaign Against Rape and Gender-Based Violence



ग्रामीण महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण प्रकल्प में कार्य करते समय हमने देखा की चार गांव की 70 प्रतिशत से ज्यादा महिलाये कर्ज के चक्रव्युह में लिप्त है। हम सभी को एहसास है की नैसर्गिक परिवर्तन के कारण खेतीहर किसान व उसके परिवार का जीना मुश्किल हो गया है। खेती का बढता हुआ खर्च व कम आमदनी से परिवार का गुजारा मुश्किल से हो पाता है। खेती काम के लिये हमेशा कर्ज की जरूरत रहती ही है।



परिवार की भी अलग अलग जरूरतों को भी पुरा करना है] बच्चो की कॉन्वेंट की पढाई] धुमधाम से लडकियों की शादी व पारंपारिक रिवाजों का निर्वाहन करना] अच्छा रहनसहन] सुविधायुक्त मकान बनाना] वाहन व स्मार्टफोन मोबाईल की खरेदी इत्यादि। इतने सारे खर्च व आमदानी कम ऐसे में अगर प्रायव्हेट कम्पनियॉ गाव में आकर बिना कोई खानापूर्ती कर्ज उपलब्ध कराती है तो सोने पे सुहागा लगता है।



गांव में चार से पांच कम्पनियॉ महिलाओं को कर्ज उपलब्ध कराती है। जिसकी साप्ताहिक किस्त महिलाओं को चाहे कुछ भी हो जाये किस्त के पैसे जमा करके देना पडता है। कर्ज की शुरूआत जरूरत से हुई लेकिन अब घर के हर कार्य के लिये कर्ज लेना मेरी आदत बन रही है।



प्रकृति संस्था द्वारा आर्थिक सशक्तिकरण प्रोजेक्ट पर कार्य करते हुये उपरोक्त महिलाओं की स्थिती को समझा व कर्जमुक्ती अभियान के अंर्तगत कर्ज लेनेवाली 400 महिलाओं से औपचारिक व अनौपचारिक तरीके से सम्पर्क किया। सबके सामने कर्ज लेने की स्थिती व उसके परिणामो पर विस्तृत चर्चा हुई। शुरूआत में तो उनका विरोध रहा लेकिन उन्हे समझाने उनके स्वास्थ्य] परिवार पर होनेवाले परिणामों की चर्चा करने पर महिलांओने अपने सुखदुख बताये ।



रजनी जाधव ने बताया की युवा लडके का ईलाज प्रायव्हेट में कराने हेतू कर्जा लिया था] लेकिन किस्त के पैसे भरने का तनाव हमेशा रहता है। अब पति व लडका कहता है अब बस भी करों। अब सोचती हु कर्ज नही लेना है।



मंगला ठाकरे बताती है की खेती  करना अब भरोसे लायक नही रहा। खेती के लिये ही लिया कर्ज वापस करना मुश्किल हो रहा है।



माया राउत ने बताया की अभी मै छः माह से घर में हु  पति नही है। दो बच्चो को पढाने के लिये कर्जा लेती रही हु। अब की बार मेरे गुप्तांग की बीमारी के लिये कर्जा लिया। प्रायव्हेट में ईलाज कराया] पैसा खत्म होने पर सरकारी दवाखाना गई। वहां मुझे आराम हुआ पर किस्त के पैसे देने हेतू मैने सारे गहने बेच डाले अब मेरे पास कुछ नही है अब मै थोडी मजूरी करके गुजारा करूंगी लेकिन कर्जा नही लुंगी।



मीना ठाकरे ने बताया की चार लडकियों की धुमधाम से शादी हेतू 12 लाख का कर्जा हुआ। फिर रीतीरिवाज के अनुरूप खर्च करना ही पडता है। लडकियो की ख्वाहिश पुरी करने का दबाब भी था। अब 8 लाख का कर्जा वापस करना है। घर में 2 एकड जमीन है जिसकी मार्केट किमंत पचास लाख है। वो पति के नाम पर है। पति कहता है मर जा] मेरे मन में भी आत्महत्या का खयाल आता है पर अब मैंन तय किया बस अब और नही।



लक्ष्मी राउत ने लडको के व्यवसाय हेतू कर्ज लिया] वापस सब मिलकर करते है। अब वे कर्ज नही उठायेंगी।



चानपा गाव में बहुसंख्य महिलाओं ने लडकों को अंग्रेजी स्कुल में पढाने हेतू कर्जा ले रही है। पर क्या वो अंग्रेजी सही में पढ रहा है] इस ओर देखने का उनके पास समय नही है।



सुनंदा जुमडे को लगता है की बचतसमूह मजबूत होने चाहिये फिर महिलाओं को बाहर का कर्जा लेने की जरूरत नही रहेंगी।



गाव के सरपंच व पूर्व सरपंच कहते है की महिलायें मजूरी पर आने के पुर्व ही अॅडव्हान्स पैसे किस्त देने हेतू लेती है हमे भी कर्ज लेना अच्छा नही लगता इसका  निषेध ग्रामपंचायत में करेंगे।एवं महिलाओं के लिये सरकारी योजना लाने का प्रयास करेंगे।



इसप्रकार 400 महिलाओं से अभियान के दौरान उनको करीब से जानने समझने का अवसर मिला. जिससे उनके मन का दबा हुआ आक्रोश उनकी आपबीती के माध्यम से उभरकर आया।



उनका कहना था की आज अपने मन की बात सबके सामने रख पायी] अभी तक किसी ने भी मुझे इतने बडे पैमाने पर कर्ज्र का एहसास नही कराया था। जब मुझे एहसास हुआ तो मेरे मन में हलचल पैदा हुई। मै रात भर चैन की नींद नही ले पायी।



अब मै खुद को कर्ज से मुक्त कराना चाहती हु। कर्ज मुक्ती के संदर्भ में अपने परिवार से चर्चा करूंगी] कर्ज व खर्च का समतोल बनाये रखने हेतू परिवार का सहयोग लुंगी।



इसप्रकार चार गाव की महिलाओं के साथ कर्ज मुक्ती बाबत अभियान के माध्यम से सहमती बनाई गई।

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