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ek aur kahani



एक और कहानी, जो देखने में शायद सब जेसी ह पर में बताती हु हो सकता ह कहनी सब जेसी हो पर में नही मानती क्योंकि हर कहनी में एक मिडिल क्लास गर्ल एक किसी आमिर आदमी को आपने प्यार में फसती ह या किस्मत से हो जाता ह और उससे शादी कर लेती ह पर इस कहनी में ऐसा ह पर शायद एसा कुछ नही वो लडकी होती मिडिल काल्ससे ह पर शायद वो किसी आमिर घराने में शादी नही करती ह क्यूकि में कुछ नही बता सकती उसके बारे में क्यूकि अभी उसकी कहानी पूरी नही हुयी ह अभी उसकी कहने अधूरी ह जो कुछ सालो बाद पता चलेगा की उसने किसी आमिर घराने में शादी की या नही....... पर शायद अभी के लिए इतनी जानकारी बहुत ह चलो आगे जानते ह इस लडकी के बारे में आखिर उसकी कहने क्या थी...........

 

ये कहानी ह एक मिडिल क्लास फॅमिली की लडकी की मिडिल क्लास बोलू या लोअर मिडिल क्लास गर्ल नही पता यार......

पर चलो अब इतना आगे आ ही गये ह तो थोरा और पढके उसके बारे में थोरा और जान लेते ह की क्या थी, कोन थी और क्यों थी, क्या चाहिये था और क्या लेने आई थी ..........

हो भी सकता ह कहानी अधूरी रह जाये उसकी क्युकी वो बोलते ह ना की जरूरी तो नही जो हम लेने आये ह वो हमे मिले ही हर बार सब हमारी किस्मत में हो जरूरी तो नही ना, कुछ रह भी जाता ह और कुछ समेट भी लेती ह .......

ये ह एक कहानी जिसमे एक लडकी एक गाव में में रहती ह जो पिछड़े हुए वर्ग से होती ह और उस में सायद लोग और लोगो का रहना भी उसी तरह से होता ह , वो आपनी 12 th की पढाई वहीसे करती ह और उसके बाद किसी बड़े शहर में तोह नही लेकिन जयपुर के इलाके में आ जाती ह जो उसके लिए किसी बड़े शहर से कम नही होता ह फिर वह से आपनी पढाई आगे शुरू करती ह उसके साथ हमेशा से ही उसके पापा का सहारा रहा ह उसे जिस वजह से वो हमेशा बड़ी शिक्षा लेती ह उसने शरू से ही अंग्रेजी माध्यम से आपनी 12th की पढाई पूरी कर रही  होती ह , जो उसके लिए उसके परिवार से और उसके गाव के अलग ही माहोल में ले जाती ह , किस्मत लडकी की , वो दोनों ही तरीके के माहोल में रहना सिख जाती ह , फिर जयपुर आने के बाद और आगे की पढाई सुरु करने के बादउसके लिए उसका माहोल और भी उससे ज्यादा बदल जाता ह असलि अंतर तोह तब पता चलता ह जब भी वो पीछे गुमके देखती ह तो सब उसे अलग ही दिखाई देता ह जो बेचारी वो भी नही समझ पति की उसके लिए वो क्या ह या ये क्या ह , दोनों ही समझना उसके लिए बहुत मुस्किल हो जाता ह लेकिन बोलते ह ना की ये तोह सफ़र ह क्या ह इसका हर्र किसी को देखना होता ह और देखना ही पड़ता ह ......

मेरी ये खानी यह खत्म होती ह नही पता मुझे की एस कहनी से आपको कितना समझ में आता ह या कितना नही पर में ये ही बताना चाहती हु की उसका सफ़र उसकी जिन्दगी से बहुत अलग ह वो आज भी ह ......

वो आपनी एस खानी से सबको उन सरे स्टूडेंट्स को जो कभी अलग महसूस  करते ह आपनी  असल जिन्दगी से और अपनी सफ़र जिन्दगी से उन सब का ये माध्यम बनाना चाहती ह ......

उसकी कहने सिर्फ उसके भाव ह उसकी कहानी के कोई शब्द  नही ह ....

बस सब से इतना ह की इसे विधार्थी का सरहना बने और उनकी  मदत करे बाकि वो अपने सफर में खुद चल लेंगे मेरे साथियो..........

धन्यवाद्......... फिर मिलते ह एक नई कहानी के साथ.......


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